Friday, August 28, 2020

मंच, माला, माईक ओर नेताजी का भाषण !!

 कोराना काल में सबसे ज्यादा क्षति या कहें घोर कमी यदि किसी क्षेत्र में हुई है तो वह नेताओं के सबसे प्रिय तीन श्रृंगार मंच, माला और माईक के गठबंधन में हुई हैं। ओर इस गंठबंधन से बनने वाली अपार आशा भरे वादों भरी वाणी जिसे हम भाषण कहते हैं मेंं कमी हुई है। सामान्य व्यक्ति के लिए ये तीन वस्तु व भाषण एक बकोती है। लेकिन नेताओं के लिए ये अति महत्वपूर्ण आभूषण रहते हैं। 


वैसे अब तक आधुनिक विज्ञान की खोज से पैदा हुई वर्चुअल रैली व आनलाइन मंच के माध्यम से हुई रैलियों के भाषणों ने इन तीन रत्नों का स्थान लेने की वैसे बहुत कोशिश की है लेकिन इन्हें कोई खास सफलता अब तक मिली नहीं है। क्योंकि वर्चुअल रैली में आसानी से नेताजी को म्यूट किया जा सकता है। वही सामान्य जीवन में नेताजी को म्यूट करने की कोशिश करना आम आदमी के लिए अपनी मृत्यु को आगमन देना जैसा है। जब तक मंच, माला व माईक न हो तब तक भाषण देने का मजा नहीं है। नेताजी के मंच पर खड़े होकर अद्भुत अलग अलग शारीरिक भंगिमाए बनाकर हुंकार भरना राजनीति का अतिआवश्यक गुण व सम्मोहन शस्त्र है !



लेकिन जैसा कि कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। नेताजी ने भी अपने पठ्ठो के माध्यम से आनलाइन मजमें जमा ही लिए। जो नेताजी वोट देने वाली जनता के कभी फोन तक नहीं उठाते थे, वे अब जब देखो तब आनलाईन अपना फेयर एंड लवली फेस लेकर लाईव फेसबुक पर बैठ जाते हैं। नेताजी इन दिनों इतना टैकनो फ्रेंडली हो गए हैं कि आगे चलकर वे नासा के लोगों को भी अपने भाषण से ज्ञान बाट सकते हैं। ट्विटर, फेसबुक व इंस्टाग्राम इन दिनों नेताजी का मंच है ओर इन पर मिले लाईक व कमेंट मालारूपी श्रृंगार हो गए है। जनता अब भी बेचारी अपना डाटा खर्च कर रही हैं ओर नेताजी अपना डाटा आनलाईन भक्तों से प्राप्त कर रहे हैं।

कोरोना वायरस को प्रतिदिन नेताजी की राजनीति अपने सरकारी व निजी हाथों के गंठबंधन के सहयोग से मार रही हैं और वोट देने वाली जनता का टेस्ट पोजिटिव आ रहा हैं। वो तो सामाजिक दूरी का नियम बीच में आ गया है नहीं तो नेताजी अपनी विशाल जनसभा में भाषणों से ही कोरोना वायरल को समाप्त कर देते। मंच, माला व माईक की इस कोरोना दूरी के कारण अर्थव्यवस्था रसातल मे चली गई है ओर नेताजी का भाषण नेटवर्क की समस्याओं के कारण सुनाई नहीं दे रहा है।

वही बड़े बड़े साहित्यकारों को ये भाषण सुनाई नहीं दे रहे हैं ओर हुआ ये कि उनकी कलम चलना बंद हो गई है। जिसके कारण साहित्य के माध्यम से आने वाली एक ओर क्रांति क्वारेंटाईन हो गई है। कुछ कवियों ने जरूर सार्थक प्रयास किए हैं अपनी कविताओं के माध्यम से कोरोना को मारने का, लेकिन कहाँ तो नेताजी का भाषण ओर कहाँ कविता ! आखिर में कविता ने भी कोरोना के सामने घुटने टेक दिए ओर फिर अंतिम उम्मीद मंच से आने वाले भाषणों से ही बची है कि ये भाषण ही कोरोना वैक्सीन का काम करेगें।

अब तक राजनीतिक मंचों से कितनी ही घोषणाएं होती थी ओर उससे सरकारें बन जाती थी। लेकिन कोरोना काल मे इस गंठबंधन के डगमगाने के कारण व नेताजी के भाषण के आभाव में कुछ प्रदेशों की सरकारें ही गीर गई। चुनाव नहीं हो पाना व खुले मंच से अपने मन की बात नहीं कह पाना, कोरोना पाजिटिव आने से बड़ा दर्द नेताजी का हो गया है।

मैं तो कोरोना वाईरस जी से यही निवेदन करना चाहुंगा कि वह राजनीतिक मंच से दूर रहे, नहीं तो एक न एक दिन कांग्रेस मुक्त भारत होने से पहले नेताजी उसे पृथ्वी से पूर्ण रूप से मुक्त कर देगें। हे मतदाताओं कोरोना काल में मंच, माला व माईक के गठबंधन की आवश्यकता को समझो ओर कोरोना को भी इस गठबंधन से दूर रहने की सलाह दो। राजनीति का यह अखाड़ा जमते रहना चाहिए ओर भाषणों से ही एक दिन इस वाईरस की वैक्सीन बन जाए ओर हमारे महान वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने की फिजूल की मेहनत से बच जाए। जिससे कि नेताजी का एक ओर वादा पूरा हो जाए ओर वे अपने अगले चुनावी भाषण में ताल ठोक के कह सके कि इस महामारी को उन्होंने ने समाप्त किया।


©भूपेन्द्र भारतीय

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