जब भी चुनाव आता है तो अंतरात्मा की आवाज़ राजनीतिक चरित्र को अंदर से झँझोड़ती है। यह आवाज़ आकाशवाणी की तरह होती हैं। यह आवाज़ जब जब भी आती है। अच्छे भले आदमी का हृदय परिवर्तन करती हैं। राजनीति में यह आवाज़ जनता की सेवा के लिए आती है, तो कभी देशभक्ति के कारण यह आवाज़ नेता जी का हृदय परिवर्तन करती हैं। “जिससे वे अपने मन का मूड बदलकर दल-बदल करते है।”
यह आवाज़ बहुत बार सरकारी विभागों में भी सुनाई देती हैं। जबतक सरकारी बाबू को यह आवाज़ नहीं आती, वे फाईलों का स्थान नहीं बदलते ! लेकिन जैसे ही जेब गर्म होती हैं, आम आदमी की गरीबी व पीड़ा को देखकर बाबूजी का इस आवाज़ के कारण हृदय परिवर्तन होता हैं। बड़े साहब भी बहुत बार इस आवाज़ के कारण न्याय व समता-समानता की बातें करते हैं। लेकिन जब तक उनके दो-चार बंगले व बैंक बैलेंस की पुरी तरह व्यवस्था न हो, तब तक उन्हें यह आवाज़ सुनने में कठिनाई होती है।
मुझे ऐसा लगता है कि अंतरात्मा की आवाज़ के संबंध में कोई क्रेश कोर्स होना चाहिए। जिससे कि यह कोर्स हर नेता व सरकारी महकमे के लोगों को आसानी से कराया जा सके या उनके प्रशिक्षण के समय इसपर विशेष बल दिया जाए ! इस अंतरात्मा की आवाज़ को यदि कोई रिकॉर्ड कर सके तो क्या कमाल होगा ! प्रतिदिन इसे सरकारी कार्यालयों में ऊंची आवाज़ से आसानी से सुनाया जाए। जैसे कि मंदिर-मस्जिद से आवाज़े आती हैं। जिससे की कितनों के ही हृदय परिवर्तन हो सकते हैं। यह आवाज़ विकास की बहार ला सकती हैं। जिससे कि भारत फिर सोने की चिड़िया बन सकता है।
इस आवाज़ को चुनाव आयोग अनिवार्य रूप से हर दो तीन वर्ष में नेताओं को सुनाये, जिससे की नेताओं के राजनीतिक कद नपे व आयोग चुनाव में व्यस्त रहे । “भले लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदारी बड़े या न बड़े।” जब भी चुनाव में कोई उम्मीदवार अपना परचा भरे, चुनाव आयोग उसे पहले अंतरात्मा की आवाज़ सुनने के लिए शपथपत्र मांगें, “कि क्या उम्मीदवार ने अच्छे से अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुन ली है?” जब भी कोई राजनीतिक दल अपना घोषणा पत्र जारी करें, उसमें अपने पुराने व मार्गदर्शक मंडल में बैठे नेताओं की अंतरात्मा की आवाज़ का स्पष्ट विवरण हो।
इस आवाज़ के बारे में मैं बचपन से सुनते आ रहा हूँ। लेकिन यह आवाज़ मुझे आज तक न अंदर से सुनाई न बाहर से ! हो सकता है इसलिए नहीं आई हो कि मैं किसी तरह के सरकारी विभाग में नहीं हूँ या फिर राजनीति के क्षेत्र में मैंने कोई रूचि नहीं ली। फिर भी इस आवाज़ का जादू मैंने कितनी ही बार देखा है। यदि इस तरह की आवाज़ में आप विश्वास करते हैं तो इसे सुने। अंतरात्मा की आवाज़ के गुणकारी प्रभाव को मद्देनज़र रखते हुए, संसद व सरकारी विभागों में एक अंतरात्मा कक्ष का भी निर्माण होना चाहिए। जिससे कि जब भी किसी को वर्तमानी कोलाहल में अंतरात्मा की आवाज़ सुनने में परेशानी हो, वह इस कक्ष का उपयोग कर सके। जिससे कि राष्ट्र फिर प्रगति व विकास की ओर अग्रसर हो।
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भूपेंद्र भारतीय