सरकार हमारे “कम्पोजिट कल्चर” वाले....!!
सरकार हमारे कम्पोजिट कल्चर में विश्वास करते हैं।उनकी नीति में मार भी है तो साथ ही पुचकारना। वे मारते भी है और रोने भी नहीं देते। उनके एक हाथ में लड्डू है तो दूसरे हाथ में मँहगाई ! एक पांव के नीचे गाँवों की अटल सड़कें है तो दूसरे पांव के नीचें चार्टर्ड प्लेन है। बहनों के लिए साईकिल है तो भाईयों के लिए सिर्फ लड्डू ! सरकार हमारे देशी रुप भी धरते है तो विदेशी मुद्रा में भी आ सकते हैं। सरकार हमारे गरीब-अमीर में कोई भेदभाव नहीं करते। वे चुनावों के समय गरीब की शरण में रहते है तो वहीं चुनाव होने के बाद अमीरों के..!
सरकार हमारे अपनी सरकार भी कम्पोजिट शैली में चलाते हैं। उनकी सरकार में देशी-विदेशी दोनों तरफ के मंत्री-विधायक मिल जाते है। कुछ का भाव कम होता है तो कुछ का डॉलर में ! उनकी सरकार में ऊँचे से ऊँचे दाम वाले प्रोडक्ट है तो वहीं जमीनी समीकरण साधने वाले ब्रांड भी मिल जाऐंगे। वे बैठकर भी खा सकते हैं और खड़े-खड़े किसी भी बफर पार्टी का आनंद ले सकते हैं।
यह कम्पोजिट संस्कृति ही है जिससे हमारा लोकतंत्र फलफूल रहा है। तुम भी खाओं और हमें भी खाने दो। हम ऊपर से खाकर निचे भेजते हैं, तुम नीचे वालों की थाली में से छेद कर हम ऊपर वालों को पहुंचाओ। हमारे लोकतंत्र का यह कम्पोजिट कल्चर कितना कल्याणकारी राज्य बना रहा है। हर राज्य जनकल्याण के मार्ग पर दिनोंदिन आगे बढ़ता जा रहा है। जनता के लिए चौराहे-चौराहे कम्पोजिट कल्चर की दुकानें खोल दी है। आओ जैसा माल चाहिए ले जाओ। एक जगह से ही देशी-विदेशी ब्रांड उपलब्ध होगा। इस कंपोजिट कल्चर की बदोलत कितने ही राज्य राजस्व की लंबी उड़ान भरते हैं। कंपोजिट कल्चर वाले मंत्रालय में हर कोई खूब फलता फूलता रहता है। इस कल्चर से राज्य में विकास की गंगा बहती रहती है। झूठे है वे अर्थशास्त्री जो राज्यों को कर्ज तले दबा हुआ बताते रहते हैं। भला जिस कंपोजिट कल्चर की बदौलत नियमित सेवा मिलती हो उससे किसी को कोई नुकसान हो सकता है। फिर वह राज्य तो कल्याणकारी राज्य कह लाऐगा ही !
ऐसा महान व सर्वहितकारी कल्चर शुरू करने पर हमारे सरकार को नोबेल पुरस्कार दिया जाना चाहिए। हर कंपोजिट कल्चर की दुकान पर हमारे सरकार का आदमकद पोस्टर लगना चाहिए। हर मंत्रालय को इस कल्चर का अनुकरण करना चाहिए। शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्रालय में भी कंपोजिट कल्चर की जल्द से जल्द शुरुआत कर देना चाहिए। देशी शिक्षक के साथ साथ विदेशी शिक्षक की भी भर्ती करना चाहिए। चिकित्सा क्षेत्र में भी कंपोजिट कल्चर आना चाहिए। देशी दवाओं के साथ साथ विदेशी दवा भी उपलब्ध हो। न्यायपालिका को भी अपना बौझ कम करने के लिए कंपोजिट कानूनी कल्चर पर विचार करना चाहिए। जैसे हमारे लोकतंत्र में कंपोजिट कल्चर है, भारतीय लोकतंत्र व इंडियन डेमोक्रेसी ! एक देशी-दूसरा विदेशी माल।
मेरी तो फ्री में राय है कि यह कंपोजिट संस्कृति विश्व स्तर पर लागू होना चाहिए। जल्द ही संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधि मंडल को भारत में आमंत्रित करके इस कल्चर की खूबसूरती पर व्याख्यान दिया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों में इस कल्चर पर सेमिनार आयोजित करवाने चाहिए। शिक्षा मंत्री व वर्तमान सरकार से मेरा निवेदन है कि नई शिक्षा नीति में कंपोजिट कल्चर को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। ‛जैसे आनलाइन माध्यम से घर बैठे देशी व विदेशी डिग्री दी जाना चाहिए।’ बताओं इस कल्चर से सरकार का कितना धन बचेगा। जीडीपी बढ़ जाऐगी। हम विश्व अर्थव्यवस्था में मजबूत हो जाऐंगे।
भूपेन्द्र भारतीय
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