Saturday, March 12, 2022

हमारी, उनकी व आप की लहर....!!

 हमारी, उनकी व आप की लहर....!!

         

 

लहरों का क्या है आती-जाती रहती है। कभी महामारी की तो कभी जीत-हार की लहर। चुनाव से पहले दलबदल की लहरें चलती हैं। वहीं कईयों का मानना है कि चुनाव के बाद महंगाई की लहर चलने लगती है। हमारी, उनकी व आप की लहरें बहुत बार एक सी होती है ! वर्तमान समय में लहरों पर सवार होकर बहुत से लोग न सिर्फ़ जीवन रूपी नदी पार कर जाते हैं , पर आजकल तो आभासी साधनों के माध्यम से इच्छाओं के सागर तक को भी इन लहरों के सहारे ही पार किया जा रहा है। ऐसे में कौन व्यक्ति किस लहर पर सवार है, यह सही सही कहना एक्जिट पोल के नतीजों की तरह ही हो सकता है।

अब जब दो वर्ष तक आम जनमानस ने कोविड महामारी का बहादुरी से मुकाबला करते हुए विभिन्न लहरों का गहरा अनुभव अर्जित कर लिया है, ऐसे में आम आदमी का नॉटो, शीत युद्ध, तीसरें विश्व युद्ध व आर्थिक संकट जैसी लहरें कुछ नहीं कर सकती हैं। हाँ आम आदमी को यदि कोई लहर हिला-ठुला सकती है तो वह “वादों” की ही लहर ! वो फिर समाजवाद, साम्यवाद, पूँजीवाद, राजनैतिक वादें हो या फिर कोई सा भी कानूनी विवाद हो।

पीछले दिनों चुनावी मौसम में वादों की लहरों ने खुब रंग जमाया। “वैसे चुनाव वादों की ही बारात लेकर आते हैं और बेचारी दुल्हन रूपी जनता इनके साथ ही अगले पांच साल तक बिहा दी जाती है। वहीं वादे करने वाले इन पांच सालों तक सिर्फ़ हनीमून का मजा लेते हैं ! इन चुनाव परिणामों के बाद अब कुछ माननीय फाग खेल रहे हैं और कुछ फालुदा खाते हुए फरार हो जाऐंगे। वहीं कुछ उम्मीदी-वक्ता ईवीएम की विवादित लहर का राग फाग पखवाड़े चैनल-चैनल गाते फिरेंगे। इन्हीं वाद-विवाद की लहरों से जो बच गया ! समझों वह महानायक।

आजकल लहरों के वैरिएंट बढ़ी मात्रा में समाज पर प्रभाव डाल रहे हैं। हर तीसरे दिन मोबाइल के नये ब्रांड की लहर कितने के ही घरों में तूफान ला देती हैं। कोई पुष्पा की लहर में मस्त है, तो कोई काचा बादम खाकर ही यूट्यूब व इंस्टाग्राम पर तूफानी हो रहा है ! इधर छात्र दो साल बाद भौतिक परीक्षाओं की लहरों में झुलस रहे हैं। उन्हें तीसरे वर्ष भी पूर्ण भरोसा था कि कोई लहर आकर उन्हें अगले दर्जे में धकेल देगीं ! लेकिन ऐसा हो न सका और वे अब परीक्षा हॉल में बेहाल बैठकर उल्टी-सुल्टी लहरें चलाने को फड़फड़ा रहे हैं। वहीं परीक्षा कक्षों में उठती इन लहरों से परीविक्षक असमंजस में है। वे भी आनलाइन कक्षाओं की लहरों से अब तक बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। बीच-बीच में साहित्यिक वेबिनार व आनलाइन गोष्ठी की बासंतिक लहरें मन में फागुन जगाती है। और आभासी काव्य कुमारों के मन का मयूर कहता है कि “आह! वो क्वारंटाइन के भी दिन कितने अच्छे थे।”

अब जब कि चुनाव की लहरों का रुख भी स्पष्ट हो गया है, ऐसे में हमारी, उनकी व आप की लहरों वाला वाद-विवाद अब समाप्त हो जाना चाहिए। और हमारे माननीयों को शालीनता से मान लेना चाहिए कि ‛लोकतंत्र में जनता जनार्धन की भी गुप्त लहरें होती हैं ।’ जिसे बुद्धिजीवी वर्ग “अंडर करंट लहर” नाम से जानते हैं। माना कि इन अंडर करेंट लहरों से कितने ही उम्मीदवारों को करंट लगा है, पर उनके लिए अब भी समय है कि वे लोकतंत्र में सर्वसमाज के इन नंगे तारों को छेड़छाड़ करने से बचें। और अगली बार जब भी जनता के बीच जाए तो उन्हें किसी तरह के ‛स्वयंभू विकास के आभासी करंट’ होने के खोखले व झूठे वादे ना करें। क्योंकि जन-गण-मन की कुछ स्वतंत्र व गुप्त लहरें किसी की नहीं होती हैं। ये लहरें जब भी चलती हैं तो अच्छे अच्छों की हवा निकाल देती हैं और इन लहरों में कितनों के ही हवाहवाई महल ढह जाते हैं। इतिहास ऐसी अंडर करंट लहरों से भरा पड़ा हुआ है....!!


भूपेन्द्र भारतीय 
205, प्रगति नगर,सोनकच्छ,
जिला देवास, मध्यप्रदेश(455118)
मोब. 9926476410
मेल- bhupendrabhartiya1988@gmail.com 

Monday, March 7, 2022

चौंकाने वाले नतीजे आने ही वाले हैं....!!

 चौंकाने वाले नतीजे आने ही वाले हैं....!!

      



बस कुछ ही दिनों में चौंकाने वाले नतीजे आने ही वाले हैं। समझदार मतदाताओं आपका कार्य पूर्ण हुआ। अब पार्टी व कुर्सी पकड़कर खड़े होने की बारी नेताओं की है। मतदाताओं माना आपने लोकतंत्र को ही चुना होगा ! पर आपको अगले पांच वर्षों तक कौन कितना व कितनी मात्रा में चुना लगाने वाला है, इसकी कल्पना मेरे जैसे बाल-गोपाल व्यंग्यकार के बस में नहीं है। हाँ आप स्वयं चाहे तो हमारे लोकतांत्रिक राजनीतिक इतिहास से थोड़ा बहुत अंदाजा लगा सकते हैं।

वैसे आजकल नतीजे कैसे भी हो, चौंकाने वाले ही होते हैं। चट मंगनी-पट बिहा का जमाना जो है। चौंकाने वाले नतीजे हमेशा से चौंकाने वाले ही रहे हैं। बचपन में मैं अक्सर इन नतीजों के कारण आस-पड़ोस वालों की नजरों के सामने परिणाम भुगत चुका हूँ। और जब से मन मारकर विवाहित हुआ हूँ ! इन नतीजों से ओर भी पारिवारिक(फेमिलियर) होने का आदि हो गया हूँ। टीवी चैनल वाले तो कुछ वर्षों से चौंकाने वाले नतीजों का बम फोड़ रहे हैं। हमारे कस्बाई जीवन में तो सालों से हर स्कूली परीक्षा परिणाम में चौंकाने वाले नतीजे आते रहे हैं। और फिर इन नतीजों के बाद पिताजी का मेरे सम्मान व वाहवाही में संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण का उपयोग कर सारे महोल्ले के सामने पारितोषिक देने पर चौंकाने वाले नतीजे सबको आसानी से पता चल जाते थे। वह आजकल के कोरोना काल में आगे बढ़ावों शिक्षा नीति के कारण नतीजों जैसा जमाना नहीं था।

चौंकाने वाले नतीजों का अंदाज़ा लगाकर एक बार फिर कुछ राग रूदाली करने वाले माननीयों ने ईवीएम का पोथी पांनड़ा पहले से ही निकाल लिया होगा। बेचारी ईवीएम एक बार फिर बदनाम होगी। शायद मुन्नी इतनी बार बदनाम नहीं हुई होगीं, जितनी बार अब तक ईवीएम हो गई है। टीवी चैनल वाले रूझानों के झुनझुने लेकर तैयार ही बैठे हैं। बस चुनाव आयोग के डंडे की मजबूरी है, नहीं तो अबतक इन झुनझुनों की मधुर ध्वनि से कितने ही नेताओं की नींद उड़ जाती। वैसे पक्ष-विपक्ष की नींद तो मतदाताओं के मौन के कारण से भी उड़ी हुई होगी। पर अब कौन इनसे इनके हालचाल पूछने की हिम्मत करें ?

टीवी चैनलों पर हर एक घंटे में “चौंकाने वाले नतीजे आने ही वाले हैं....!!” वाली खबर बार बार चलाकर चैनलों की जैसे तैसे साँसें चल रही थी। वो तो गनीमत है कि बीच में रूस-यूक्रेन का युद्ध आ गया, नहीं तो पांच राज्यों का चुनावी रूझान युद्ध सतत चलता रहता। फिर भी बीच बीच में चौंकाने वाले नतीजों की खबरें चलती ही रहती हैं। वहीं युद्ध भूमि से भी चौंकाने वाले ही नतीजें आ रहे हैं। जहां यूक्रेन ने एक मालवी कहावत “बान के भरोसे बियाव मांडना” की तरह जबरन ही ओखली में मुँह दे मारा और अब चौंकाने वाले नतीजों पर नॉटो के बनियों के कारण पूरा विवाह बिगाड़ लिया। बेचारी जनता एक बार फिर चौंकाने वाले नतीजों के फेर में गलत फेरे पड़ गई। वहीं इस चौंकाने वाली परिस्थिति में भी विदेश में फंसे अपने यहां के कुछ सयाने मेहमानों की चौंकाने वाली खबरें आ रही है।

खैर “चौंकाने वाले नतीजों” से याद आया; मैंने भी एक बार स्वयं की पत्नी को प्रसन्न करने के लिए चाय बनाने की कोशिश की थी। फिर क्या था ! दो सप्ताह तक किचन बर्तनों से चौंकाने वाले नतीजें आते रहे। उन दिनों हम भी थोड़े बहुत तो होशियार थे ही। उसके बाद कभी किचन तरफ झांका ही नहीं। लेकिन अब जब भी कहीं से सुनता हूँ कि चौंकाने वाले नतीजे आने ही वाले हैं ! ऐसी घड़ी में मैं वैसा ही चौंक जाता हूँ! जैसे किसी भी चुनाव में कोई उम्मीदवार परिणाम आने की घड़ियां गिनता रहता है और “चौंकाने वाले नतीजे आने ही वाले हैं” वाली खबर टीवी चैनलों पर दनादन चलती रहती हैं....!!


भूपेन्द्र भारतीय 
205, प्रगति नगर,सोनकच्छ,
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मोब. 9926476410
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लोकसभा चुनाव में महुआ राजनीति....

 लोकसभा चुनाव में महुआ राजनीति....         शहडोल चुनावी दौरे पर कहाँ राहुल गांधी ने थोड़ा सा महुआ का फूल चख लिखा, उसका नशा भाजपा नेताओं की...